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दीपावली पर “लक्ष्मी जी पूजन” क्यों होता है? और गणेश जी साथ मैं क्यों पूजे जाते हैं?

Admin,

दीपावली पर लक्ष्मी जी पूजन और गणेश का पूजन भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक पौराणिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है। इसके पीछे कई मान्यताएँ और कथाएँ हैं, जो इस पूजन को महत्वपूर्ण बनाती हैं।

लक्ष्मी देवी को धन, समृद्धि, खुशी, और सम्पत्ति की देवी माना जाता है, और वह धन की प्रतीक होती हैं। दीपावली के दिन लोग अपने घरों को सजाकर उनका स्वागत करते हैं और उनकी कृपा का स्वागत करते हैं। वे धनतेरस के दिन भी लक्ष्मी पूजा करते हैं ताकि वे धन की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

गणेश भगवान को विद्या, ज्ञान, और सफलता के प्रतीक के रूप में माना जाता है। उन्हें शुभारम्भ का देवता माना गया है, और उनकी पूजा करने से किसी कार्य का आरंभ सुखद होता है। दीपावली के दिन, लोग गणेश जी की मूर्ति की पूजा करते हैं ताकि वे उन्हें अपने कार्यों की सफलता में मदद कर सकें।

इस प्रकार, दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश का पूजन करने से लोग धन, समृद्धि, खुशी, और सफलता की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं।

“जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर “लक्ष्मी जी पूजन” (Lakshmi Poojan)क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?”

“दीपावली उत्सव दो युग “सतयुग” और “त्रेता युग” से जुड़ा हुआ है!”

“सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए “लक्ष्मी पूजन” होता है!भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है!इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, “लक्ष्मी पूजन” जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा “दीपावली” जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!

दीपावली पर "लक्ष्मी जी (lakshmi ji) पूजन" क्यों होता है? और गणेश जी साथ मैं क्यों पूजे जाते हैं?
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लक्ष्मी और श्री गणेश दोनों की दीपावली पर पूजा क्यों होती है?

सही उत्तर है :

लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं, और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया! कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए! माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी! उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि तुम मैनेजर बदल लो! माँ लक्ष्मी बोली, यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!

तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को “धन का डिस्ट्रीब्यूटर” बनने को कहा!श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, “माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं!

माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे!कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए! गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!

deepawali poojan

दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को! माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है! (यह कैसी विडंबना है, कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है? औऱ जो वर्णन है, वह अधूरा है!) इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !

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