अहोई अष्टमी कथा पूजन विधि मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि 17 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, जो कि 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। अहोई अष्टमी के दिन दोपहर 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

ब्रह्म मुहूर्त- 04:43 am से 05:33 am    अभिजित मुहूर्त- 11:43 am से 12:29 pm विजय मुहूर्त- 02:01 pm से 02:46 pm गोधूलि मुहूर्त- 05:38 pm से 06:02 pm अमृत काल- 02:31 pm,अक्टूबर 18 से 04:19 am

शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– माता दुर्गा और अहोई माता का का स्मरण करते हुए धूप-दीप जलाएं। – पूजा स्थल पर उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण में चौकी की स्थापना करें। – चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– माता अहोई की प्रतिमा स्थापित करें। – अब गेंहू के दानों से चौकी के मध्य में एक ढेर बना लें, इस पर पानी से भरा एक तांबे का कलश स्थापित करें। – इसके बाद माता अहोई के चरणों में मोती की माला या फिर चांदी के मोती रखें।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– चौकी पर धूप-दीप जलाएं और अहोई माता जी को पुष्प अर्पित करें। – फिर माता को रोली, अक्षत, दूध और भात अर्पित करें। – पूजा स्थान पर 8 पूड़ी, 8 मालपुए एक कटोरी में रखें।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– इसके बाद हाथ में गेहूं के सात दाने और फूल लेकर अहोई माता की कथा पढ़ें। – कथा पूरी होने पर हाथ में लिए गेहूं के दाने और फूल माता को अर्पित कर दें।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– इसके बाद माता को चढ़ाई गई मोती की माला या चांदी के मोती को एक साफ डोरी या कलावा में पिरोकर गले में पहन लें। – फिर तारों और चन्द्रमा को अर्घ्य देकर हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पुष्प और भोग के द्वारा इनकी पूजा करें।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– पूजा में रखी गई दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बुजुर्ग महिला को दे दें। – अंत में जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

अहोई अष्टमी की व्रत विधि

– पूजा में रखी गई दक्षिणा अपनी सास या घर की किसी बुजुर्ग महिला को दे दें। – अंत में जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।